Tuesday, July 5, 2011

'अनशन' का 'टेंशन'

आगामी १६ अगस्त से सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे फिर से अनशन पर बैठने जा रहे हैं. इससे सरकार का टेंशन फिर बढ़ गया है. लोकपाल पर संप्रग सरकार और सिविल सोसायटी के बीच दूरी बढती जा रही है.केंद्रीय मंत्रियों के बयान से लगता है कि इस बार अन्ना हजारे के अनशन पर सरकार का रुख कड़ा है. उन्हें चिंता है कि जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है तो अन्ना हजारे एवं बाबा रामदेव जैसे कुछ लोग उन्हें कैसे चुनौती दे सकते हैं.

लगता है पिछली बार के अन्ना एवं बाबा रामदेव के अनशन का टेंशन अभी ख़त्म नहीं हुआ  है. एक अनशन तो योग गुरु बाबा रामदेव ने  भी रामलीला मैदान में किया था. इसमे सरकार की लीला से  तो बाबा का ही टेंशन बढ़ गया. बेचारे सलवार सूट में ही रातों रात अपने आश्रम पहुंचा दिए गए.
                                              
                                               सुना है कि अब महिलाओं के वस्त्र बनाने वाली एक कंपनी योग गुरु बाबा रामदेव को अपना ब्रांड अम्बेसेडर बनाने  की सोच रही है. उनके योग का ऐसा हस्र होगा ऐसा किसी ने न  सोचा था. अपने आश्रम में 'रूठे पिया' की तरह अनशन पर बैठकर किसी को टेंशन नहीं दे पाए. नौ दिनों में ही उनका टेंशन और बढ़ गया. उधर स्वामी निगमानंद तो अनशन से ही असमय काल कवलित होकर अपने गुरु और परिवार के सदस्यों को टेंशन दे गए. अब तो अन्य योग गुरुओं ने भी बाबा रामदेव को और भी योगाभ्यास की सलाह दे डाली है. देखना है कि बाबा अब कौन कौन से आसन का अभ्यास कर लोगों को सिखाते हैं.

                                             इधर मौन व्रत तोड़ते ही प्रधान मंत्री जी ने कहा है कि वे भी प्रधान मंत्री को लोकपाल के दायरे में लाना चाहते हैं.लगता है कि देश की सभी समस्याओं का समाधान लोकपाल ही है.महंगाई जैसे मुद्दे अब पीछे चले गए हैं. आम लोगों को तो यही चिंता है कि कैसे महंगाई से निजात पाया जाये. हालिया पेट्रोल,डीजल और रसोई गैस में की गई वृद्धि पर सभी चुप हैं. क्या सत्ताधारी और  क्या विरोधी दल सभी लोकपाल पर अपना अपना राग अलाप  रहें हैं.लगता है लोकपाल बिल पास होते ही महंगाई कम हो जाएगी.बेरोजगारी दूर हो जाएगी.

                                            सो लोकपाल पर सभी मुखर हैं. इधर बाबा रामदेव ने भी अन्ना को अपना समर्थन दे दिया है लेकिन अन्ना इस बार फूँक फूँक कर कदम रख रख रहे हैं. उन्हें बाबा के पिछले अनशन के टेंशन का पता है, इस लिए इस बार सशर्त समर्थन चाहते हैं. देखने वाली बात यह है कि आगामी अनशन से किसका टेंशन बढ़ता है, सरकार का, विरोधी दलों का(जिनका भ्रष्टाचार वाला मुद्दा अन्ना एवं बाबा ने हाइजैक कर लिया है)या अन्ना एवं सिविल सोसायटी का.    

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